By: Bhopal Ki Surkhiya

Date: 10/01/2025

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मकर संक्रांति कब है? जानिए इसका इतिहास और महत्व

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हर 80 साल में बदलती है तारीख: मकर संक्रांति की तारीख सूर्य के कैलेंडर में छोटे बदलावों के कारण हर 80 साल में एक दिन आगे खिसक जाती है।

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देश के हर हिस्से में अलग नाम: यह पर्व तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी, असम में बिहू और गुजरात में उत्तरायण के नाम से मनाया जाता है।

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गंगा स्नान की मान्यता: मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।

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पतंगबाजी की परंपरा: गुजरात और राजस्थान में इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है, जो सूर्य के स्वागत का प्रतीक है।

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वैज्ञानिक आधार: इस दिन सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं, जो शरीर के लिए लाभकारी मानी जाती हैं।

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पहला फसल उत्सव: यह त्योहार नई फसल का स्वागत करने और किसानों की मेहनत का सम्मान करने का प्रतीक है।

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महाभारत और मकर संक्रांति: महाभारत के भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन स्वेच्छा से प्राण त्यागे थे।

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विदेशों में भी उत्सव: भारत के अलावा नेपाल और मॉरीशस में भी मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है।

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मकर संक्रांति 2025 में 14 जनवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी।