अमेरिका के कई शहरों में शनिवार को “नो किंग्स” नाम से बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और सरकार के “तानाशाही की ओर बढ़ते रुझान” के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।
न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर से लेकर बोस्टन, अटलांटा और शिकागो तक हजारों लोग सड़कों पर उतरे। “Nothing is more patriotic than protesting” और “Resist Fascism” जैसे नारे लगे। वॉशिंगटन और लॉस एंजेलिस के डाउनटाउन में भी बड़ी रैलियां निकाली गईं, जबकि रिपब्लिकन शासित राज्यों में विधानसभा भवनों और छोटे शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हुए।
माहौल विरोध से ज्यादा उत्सव जैसा
हालांकि ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी ने इन प्रदर्शनों को “Hate America” रैली बताया, लेकिन कई जगहों पर माहौल किसी उत्सव जैसा था। मार्चिंग बैंड, अमेरिकी संविधान के “We The People” लिखे बैनर पर लोगों ने हस्ताक्षर किए और कुछ प्रदर्शनकारियों ने फुलाए जाने वाले मेंढक (frog) की पोशाक पहनी — जो ओरेगन के पोर्टलैंड में प्रतिरोध का प्रतीक बन गई है।
सरकार बंद होने के बीच तीसरा बड़ा आंदोलन
ट्रंप की वापसी के बाद यह तीसरा बड़ा राष्ट्रीय प्रदर्शन है। इस बार यह उस समय हो रहा है जब अमेरिकी सरकार “शटडाउन” का सामना कर रही है। कई संघीय सेवाएं ठप हैं, और कार्यपालिका, कांग्रेस तथा अदालतों के बीच शक्ति संतुलन पर सवाल उठ रहे हैं।
प्रदर्शन आयोजकों का कहना है कि राष्ट्रपति की “अत्यधिक शक्तियों” का इस्तेमाल लोकतंत्र को खतरे में डाल रहा है।
पूर्व मरीन सैनिक ने कहा – “यह असली देशभक्ति है”
वॉशिंगटन में इराक युद्ध के पूर्व मरीन सैनिक शॉन हॉवर्ड ने कहा कि उन्होंने पहले कभी किसी प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिया था। लेकिन ट्रंप प्रशासन के “कानून की अवहेलना” ने उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया।
उन्होंने कहा, “मैंने आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी है और अब अपने देश में वही अतिवाद देख रहा हूं। बिना सुनवाई के लोगों को हिरासत में लेना और शहरों में सैनिक तैनात करना लोकतंत्र के लिए खतरा है।”
ट्रंप बोले – “मैं राजा नहीं हूं”
इसी बीच राष्ट्रपति ट्रंप फ्लोरिडा स्थित अपने मार-ए-लागो घर पर सप्ताहांत बिता रहे थे।
Fox News को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “वे कहते हैं कि मैं राजा हूं। मैं राजा नहीं हूं।” इसके बाद उन्होंने अपने क्लब में आयोजित MAGA Inc फंडरेज़र में हिस्सा लिया, जहां एक प्लेट की कीमत 1 मिलियन डॉलर थी।
सैन फ्रांसिस्को और सॉल्ट लेक सिटी में भावनात्मक दृश्य
सैन फ्रांसिस्को के Ocean Beach पर सैकड़ों लोगों ने अपने शरीरों से “No King!” लिखा। एक प्रदर्शनकारी हेले विंगार्ड, जो स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के वेश में थीं, ने कहा –
“पहले मुझे लगा सब ठीक है, लेकिन जब सैन्य बलों को लॉस एंजेलिस, शिकागो और पोर्टलैंड में भेजा गया, तब एहसास हुआ कि यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही की ओर कदम है।”
सॉल्ट लेक सिटी में प्रदर्शनकारियों ने जून में हुई एक प्रदर्शनकारी की मौत के बाद आशा और एकता के संदेश साझा किए।
संपादकीय टिप्पणी:
“नो किंग्स” आंदोलन अमेरिकी नागरिकों के उस डर और गुस्से की झलक है, जो उन्हें सत्ता के केंद्रीकरण और संवैधानिक मूल्यों के क्षरण से महसूस हो रहा है। यह विरोध केवल एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि उस व्यवस्था के खिलाफ है जो लोकतंत्र की सीमाओं को चुनौती दे रही है।
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