उत्तर भारत इन दिनों भीषण ठंड और शीतलहर की चपेट में है। वहीं, मध्य प्रदेश में लगातार बारिश और ओलावृष्टि से मौसम का मिजाज बदला हुआ है। हालांकि, बारिश और ओले का कारण बनने वाला सिस्टम अब कमजोर पड़ गया है, जिससे आने वाले दिनों में मौसम में बदलाव के संकेत हैं। आइए जानते हैं इस मौसम के असर, कोहरे के अलर्ट और किसानों के लिए सरकार की तैयारियों के बारे में।

मध्य प्रदेश में बारिश और कोहरे का अलर्ट
मध्य प्रदेश के कई जिलों में पिछले दो दिनों से झमाझम बारिश और ओलावृष्टि हो रही है। मौसम विभाग ने सोमवार को राज्य के 30 से अधिक शहरों में कोहरे का अलर्ट जारी किया। भोपाल में विजिबिलिटी घटकर 800 मीटर तक रह गई है।
बारिश के चलते राज्यभर के तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले दो दिनों तक घना कोहरा छाने के आसार हैं। इसके बाद ठंड और तेज हो सकती है, जिससे न्यूनतम तापमान में और गिरावट आ सकती है।
किसानों पर मौसम का असर और सरकार की चिंता
लगातार बदलते मौसम और ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों की इस परेशानी पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ खड़ी है और फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए राहत राशि प्रदान की जाएगी।
इसके अलावा, जिन किसानों की फसल का उपार्जन नहीं हुआ है, उन्हें प्रति हेक्टेयर राशि और बोनस प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं। जिला स्तर पर नुकसान का आकलन कर किसानों को मदद पहुंचाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील की है कि वे मौसम की अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए सतर्क रहें।
छत्तीसगढ़ में तापमान में गिरावट के आसार
छत्तीसगढ़ में भी मौसम ने करवट ली है। बारिश और बादलों के कारण रात के तापमान में वृद्धि दर्ज की गई थी। लेकिन अब मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि सोमवार से न्यूनतम तापमान में तेजी से गिरावट होगी। अगले दो दिनों में तापमान करीब 4 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है।
इसके अलावा, प्रदेश के अधिकांश इलाकों में शीतलहर चलने की संभावना है। मौसम विभाग ने लोगों को सतर्क रहने और ठंड से बचाव के उपाय अपनाने की सलाह दी है।
फसलों पर बारिश और ओलों का प्रभाव
बारिश और ओलावृष्टि ने फसलों पर सीधा असर डाला है। मौसम विशेषज्ञों ने किसानों को फसलों की सुरक्षा के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी है। खराब मौसम के कारण गेहूं, सरसों और चने जैसी रबी फसलों पर नुकसान की आशंका है।
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेतों में जल निकासी की व्यवस्था करें और मौसम विभाग के निर्देशों का पालन करें। फसलों को नुकसान से बचाने के लिए समय पर उचित कदम उठाना जरूरी है।
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